क्या आपको पता है आर्यभट्ट (उपग्रह ) के बारे में

आर्यभट्ट भारत का पहला उपग्रह है, जिसे इसी नाम के महान भारतीय खगोलशास्त्री के नाम पर नामित किया गया है। यह सोवियत संघ द्वारा १९ अप्रैल १९७५ को कॉसमॉस - ३एम प्रक्षेपण वाहन द्वारा कास्पुतिन यार से प्रक्षेपित किया गया था।
यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा निर्माण और अंतरिक्ष में उपग्रह संचालन में अनुभव प्राप्त करने हेतु बनाया गया था। ९६.३ मिनट कक्षा ५०.७ की डिग्री के झुकाव पर ६१९ किमी की भू - दूरस्थ और ५६३ किमी की भू - समीपक कक्षा मे स्थापित किया गया था। यह एक्स - रे, खगोल विज्ञान और सौर भौतिकी में प्रयोगों के संचालन के लिये बनाया गया था। अंतरिक्ष यान १.४ मीटर व्यास का एक छब्बीस तरफा बहुभुज था। सभी (ऊपर और नीचे) चेहरे सौर कोशिकाओं के साथ कवर हैं। एक भारतीय बनावट के ट्रान्सफार्मर कि विफलता की वजह से कक्षा में ४ दिनों के बाद प्रयोग रूक गए। अंतरिक्ष यान से सभी संकेत आपरेशन के ५ दिनों के बाद खो गए थे। उपग्रह ने ११ फ़रवरी १९९२ पर पृथ्वी के वायुमंडल में पुन: प्रवेश किया। उपग्रह की छवि १९७६ और १९९७ के बीच भारतीय रुपया दो पैसों के रिवर्स पर दिखाई दिया।

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